A book named Kaushalji will be released soon until then enjoy the above movie on Kaushal Ji.
नमस्ते
यह प्रकाशन उस व्यक्तित्व की स्मृति में लिखा जा रहा है जिसका निर्माण और उस जैसे सभी
साधकों का कर्म, विचार, और दृष्टिकोण आगे आने वाली पीढ़ियों को सदियों तक प्रेरित कर सके।संघ ने पिछले १०० वर्षों में शायद हज़ारों प्रचारक तैयार किए और उन प्रचारकों ने करोड़ों लोगों के जीवन पर अपना प्रभाव छोड़ा। कौशलजी भी एक ऐसे ही साधक थे जिन्होंने अपने कृतित्व सेसमाज के विभिन्न वर्गों को अपने
रचनात्मक तरीक़ों से प्रभावित किया चाहे फिर वह राजनीति हो या सामाजिक।
इस प्रकाशन का एक और उद्देश्य समाज के उन प्रतिष्ठित लोगों को आइना भी दिखाना है जो एक
दूसरे के कंधो पर सवार हो कर उस मुक़ाम पे पहुँचने में लगे रहते है जो किसी और के संघर्षो से
तैयार होता है। कौशलजी एक ऐसे कर्मठ पुरुष रहे है जो कभी संघर्षो से पीछे नहीं हटे और उन्होंने अपने पूरे
जीवन में ऐसे कई मुक़ाम बहुत से लोगों के लिए तैयार किए।
समाज के सच्चे प्रहरी के रूप में उन्हें कभी सरकार से कोई पुरस्कार नहीं मिला परंतु राजस्थान के लोगों का अपूर्व सम्मान और प्रेम मिला, यही सही मायने में उनके लिए सबसे बड़ा पुरस्कार था।पिछले ५० वर्षों के उनके प्रयासों का एक चित्र संकलन उनके देहावसान के बाद मुझे उनकी
एकमात्र विरासत के रूप में प्राप्त हुआ जिसे में एक साकार जीवनी के रूप में प्रकाशित करने की कोशिश कर रहा हूँ।
मेरी माताजी संतोष जी ने पिताजी को सदैव उन संघर्षो से जूझते हुए देखा है बावजूद उसके उन्होंने पूरी ज़िंदगी सादगी में व्यतीत की और कभी शिकायत नहीं की।पिताजी के देहांत के पश्चात् उनके सान्निध्य में रह कर मैंने वो सब जानने की कोशिश की जो पिताजी के ज़िंदा रहने पर शायद नहीं सीख पाया, या समझने की कोशिश नहीं की ।माताजी ने पूरी हिम्मत के साथ कई वृतांत ऐसे सुनाए जिन्हें सुन कर ऐसी प्रेरणा मिली की जो हम अमेरिका में रहकर कर रहे हैं वो शायद पर्याप्त नहीं है।
पिछले ५ वर्षों में मैंने उन सभी लोगों से जिनका पिताजी से किसी भी तरह का सम्बंध था, सम्पर्क
किया और उनसे मार्ग दर्शन प्राप्त करने की कोशिश की।इसी कड़ी में पिताजी के उन मित्रों से भी मिला जो आज उन पदों पर विराजमान है जिनकी नींव में पिताजी के प्रयासों का पसीना और रक्त बहा है।वो सभी महानुभाव जो पिताजी के साथ सामाजिक
और राजनैतिक जीवन में किसी से किसी तरह से जुड़े रहे उनसे मैंने बहुत कुछ सीखा।उनके कुछ मित्रों को में बचपन से जानता हूँ जिन्होंने कौशलजी का साथ जीवन भर निभाया।इस प्रयास के लिए मुझे प्रेरित किया और कई वृतांत साझा किए।
संघ के आजीवन प्रचारक और शीर्ष अधिकारी हस्तिमल जी भाईसाहब के लिए मेरे मन में उतना ही आदर और श्रद्धा है जितना मेरे मन में पिताजी के लिए थी।
कुछ पत्र जो उनके मित्रों और परिजनों ने कौशलजी को श्रद्धांजलि स्वरूप लिखे उन्हें भी इस प्रयास में शामिल किया गया है।कुछ पत्र ऐसे मिले है जो आपातकाल के समय संघ प्रमुख एवं अन्य अधिकारियों द्वारा लिखे गए थे वेभी इस संकलन में प्रेषित कर रहा हूं।यह वह अमूल्य निधि है जिससे एक ऐसे आदर्श व्यक्तित्व का निर्माण हुआ है जिस पर संघ परिवारऔर सम्पूर्ण समाज को गौरवान्वित होने का अवसर मिलेगा।
यह प्रकाशन शायद उन सभी लोगों तक पहुँचे इसी शुभेच्छा के साथ।
आपका
कुणाल जैन